Sunday, February 9, 2014

" GAYA " : FINAL MERIT LIST Tekari / Nagar Nigam Gaya / Nagar Panchayat BodhGaya / Nagar Panchayat Sherghati


" GAYA " : FINAL MERIT LIST Tekari / Nagar Nigam Gaya / Nagar Panchayat BodhGaya / Nagar Panchayat Sherghati


Link : http://gaya.bih.nic.in/new/ResultMerit.html




1 comment:

  1. क्या धर्मनिपेक्षता के नाम पर भारत का राजनेता ढोंगी है ?

    १९७७ में इंद्रा गांधी ने संविधान में संसोधन कर धर्मनिरपेक्ष यानि (सेकुलरिस्म )शब्द जुड़वाया था , इसके पीछे क्या राज़ था उसी को ढूंढ़ने का प्रयास कर रहा हूँ।

    आजकल भारत में सेक्युलरिस्म का राग प्रायः सभी नेता करते है ऐसा लगता है कि कोई राजनीति का राग हो इसका आलाप लगाने से इन्हे तुरंत मुस्लिम वोट मिल जायेगा। विश्व प्रसिद्द संविधान विषेशज्ञ

    आचार्य दुर्गा दत्त बासु ने इसपर जो लिखा है उनकी व्याख्या जरूर पढ़ी जाय ताकि भारत में सेकुलरिज्म कि पोल खुल सके।
    पहले संविधान में सेक्युलर शब्द नहीं था ,परन्तु संविधान कि आत्मा इससे ओत -प्रोत थी ,धर्म के प्रति संविधान कि एक ही दृष्टि है कि भारत का अपना कोई स्टेट रीलिजन नहीं होगा ,जिसे सब मानने को बाध्य हो। कोई भी नागरिक अपनी आस्था के अनुस्वार चाहे जिस धर्म को माने सरकार को इससे कोई लेना देना नहीं।

    सर्व धर्मसम्भाव ,सर्वपंथसंभाव , या धर्मनिरपेक्षता का बस इतना ही अर्थ था कि भारत में हर वयक्ति को धर्म के प्रति आस्था था , कही भी कोई द्वन्द और संघर्ष नहीं था , लेकिन राजनीतिज्ञो ने मनुष्यो को भी धर्मनिरपेक्ष बना दिया ,राजनीती में यह फैशन एक संक्रमणकारी रोग कि तरह फ़ैल रहा है।

    इन राजनीतिज्ञो का चरित्र कैसा है , इनके आचरण कैसे है इसपे लोगो कि दिलचस्पी नहीं होती ,और ये राजनितज्ञ दिखावे के लिए तथा स्वांग भरने के लिए सारे धर्मो के प्राति आगाध प्रेम जगाते है और तो छोड़िये इन सेक्युलर नेताओ को अपने धर्म के बारे में भी कुछ नहीं पता है।

    भारत का राजनेता ढोंगी हो गया है संसद ही नहीं सारा देश जान रहा है कि धरनरपेक्षता का लबादा ओढ़े जो ये लोग स्वयं को "धर्मनिरपेक्ष शक्तिया "बता रहे है वे सब इतने बड़े गुरुघंटाल है कि किसी पर अपहरण का मामला है ,तो किसी पर मर्डर का , तो किसी पर घोटाले का मामला है तो किसी पर फिरौती का मामला है ,ये सेक्युलर अपराधी बेशर्मो कि तरह हाय सेक्युलर ,हाय सेक्युलर चिल्लाने से बाज नहीं आते। तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोग स्वयं को एक ऐसी "गांधीवादी विचारधारा"का प्रतिनिधि मान रहे है जिसका बापू से दूर -दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है।

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