बोले मुख्यमंत्री, यौमे उर्दू के रूप में मनाया जायेगा गुलाम सरवर का जन्म दिवस . अकलियतों की स्थिति महादलितों की तुलना में बहुत अच्छी नहीं है . जिन विद्यालयों में उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है, वहां पढ़ाई कराने का निर्देश देंगे
सूबे में गुलाम सरवर द्वारा उर्दू भाषा की तरक्की के लिये किये गये कार्य से हमें प्रेरणा लेनी चाहिये। वे बिहार में उर्दू भाषा एवं कौमी एकता के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। उनके द्वारा छोड़े गये अधूरे कामों को हम पूरा करेंगे। गुलाम सरवर के जन्म दिवस को उर्दू दिवस के रूप में मनाया जाएगा। हर प्राथमिक विद्यालय में उर्दू शिक्षक बहाल होंगे, इससे उर्दू को बढ़ावा मिलेगा और इसे आम आदमी की भाषा बनाने में सहयोग प्राप्त होगा। जिस विद्यालय में उर्दू की पढ़ाई नहीं होती है, वहां पर उर्दू की भी पढ़ाई हो, इसके लिये शिक्षा विभाग को निर्देश देंगे। ऐसी व्यवस्था करेंगे कि उर्दू पढ़ने वाले बच्चों की संख्या बढ़े। अकलियत की स्थिति महादलित की तुलना में बहुत अच्छी नहीं है। यह बातें मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुलाम सरवर जयंती के अवसर पर भारतीय नृत्य कला मंदिर में आयोजित तकरीब यौम-ए-उर्दू कार्यक्रम के अवसर पर कहीं। उन्होंने कहा कि बिहार की द्वितीय राजभाषा उर्दू है।
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