Saturday, October 24, 2015

नियोजित शिक्षकों का सेवा-पुस्तिका अद्धतन के नाम पर आर्थिक शोषण जारी,संघ और नेताओं का मौन स्वीकृति


सभी सम्मानीय शिक्षकों को मैं Ashutosh दुर्गापूजा-दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ देता हूँ.माँ भगवती महामाया आपके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियाँ प्रदान करे.आपके परिवार को खुशियों और धन-धान्य से भर दे.आपकी सारी तकलीफे दूर हो जाये.जय माँ भगवती.जय माँ लक्ष्मी.
तकलीफे बहुत है पर उसका समाधान नहीं है.अगर समाधान है भी तो उसे कठिन बना दिया गया है.यह कटु सत्य है कि नियोजित शिक्षकों का आर्थिक पक्ष बेहद ही दुखद और कमजोर है.जो शिक्षक 9 से 12 हजार रूपए में अपने परिवार का भरण-पोषण करते है,उनके दुःख को हम महसूस कर सकते है.और जब 5-6 महीने वेतन नहीं मिलता है तो कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ता है,उस दर्द को हम महसूस नहीं कर सकते है.
अधूरे वेतनमान देकर नीकु सरकार स्वंय अपनी पीठ थपथपा रही है.मीडिया से यह समाचार फैलाया गया है कि नियोजित शिक्षकों को दुर्गापूजा से पहले वेतनमान का वेतन भुगतान होगा.जिसके लिए 13 अरब रूपए दिए गए है.वेतन भुगतान प्रक्रिया में वेतन निर्धारण प्रपत्र और सेवा पुस्तिका अद्धतन(uptate) अनिवार्य किया गया है.बहुत सारे शिक्षक साथियों ने फेसबुक,व्हाट्स एप इत्यादि के माध्यम से सेवा पुस्तिका बनाने का तरीका शेयर किया है ताकि दुसरे शिक्षक भी सेवा पुस्तिका बना सके.
वेतन निर्धारण प्रपत्र डाउनलोड करके तथा सेवा पुस्तिका लिखवाकर उसे BRC,CRC,BEO,DEO,DPO इत्यादि अधिकारीयों के पास सत्यापन हेतु जमा किये गये.इस आशा में कि सत्यापन होने के बाद वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू होगी तथा पर्व पर वेतन मिलेगा.मगर समस्याएँ यहाँ भी नियोजितों का साथ छोड़ने को तैयार नहीं है.सेवा पुस्तिका सत्यापन के नाम पर अधिकारीयों ने अपने दलालों के माध्यम से खुली लूट मचा रखी है.500-1500 रूपए तक प्रति शिक्षक सत्यापन के नाम पर लिये जा रहे है.गुंडागर्दी(रिश्वत) नहीं देने पर काम को पेंडिंग में डाल दिया जाता है.यह हाल बिहार के हर जिले का है.
श्री नीतिश कुमार (माननीय मुख्यमंत्री,बिहार सरकार) और लालू प्रसाद यादव (राजद प्रमुख) अगर आप तक मेरी बात पहुँच रही है तो आपलोग तत्काल ऐसे दलालों पर रोक लगाकर क़ानूनी कारवाई करे.क्यूंकि अगर नियोजित शिक्षक किसी अधिकारी की वरीय अधिकारी के पास शिकायत करते है तो शिकायतकर्ता शिक्षक को देख लेने की धमकी भी दी जाती है.इनके लिए 500 रूपए रिश्वत देना भी बहुत भारी है.
आपलोग आकाश में उड़ते है,एसी घर और गाड़ी में रहते है,रूपए की भी कोई कमी नहीं है.शायद आपलोग नियोजित शिक्षकों के दर्द को नहीं समझ पायेंगे.किन विपरीत परिस्थितियों में रहकर,बिना वेतन के नियोजित शिक्षक बच्चों को पढ़ाते है.कभी मौका निकालकर हमारी भी सुधि लीजिये.
शिक्षक संघ और उसके नेता भी इस लूट पर मौन धारण किये हुये है.इससे यह साबित होता है कि इन तथाकथित नेताओं का भी मौन स्वीकृति है.अभी तक एक भी नेता ने इस लुटपाट के खिलाफ आवाज नहीं उठाया है.मैं धन्यवाद करता हूँ कुछ क्रांतिकारी शिक्षक साथियों का जिन्होंने किसी धमकी की परवाह किये बिना आन्दोलन शुरू किया है और मुंहतोड़ जबाव दे रहे है.ऐसे वीर शिक्षकों को कोटि-कोटि नमन.
कहने को शिक्षक राष्ट्र और समाज निर्माता होते है,पर आज नियोजित शिक्षक खुद बेबस है.ये राष्ट्र निर्माता,समाज निर्माता सारा फ़िल्मी डायलॉग लगता है. डायलॉग देना छोड़िये और सम्मानजनक जीवन जीने का हक़ दीजिये,समय से वेतन दीजिये.वेतनमान के नाम पर नीकु बाबु आपने क्या दिया है उसे सब जानते है.लेकिन सरकार! जो दिया है वही ईमानदारीपूर्वक दीजिये.हम नियोजित शिक्षकों को राजनीतिक मोहरा ना बनाये.
सरकार किसी की भी बने नियोजित शिक्षक अपना काम ईमानदारी के करते थे और करेंगे.शिक्षा व्यवस्था में सुधार तब आयेगा जब सरकार में बैठे लोग एसी से निकलकर जमीनी हकीकत देखते हुए निर्णय लेंगे.आज जितनी तेजी और जबावदेही वेतन भुगतान प्रक्रिया में है,उतनी ही तेजी और जबावदेही अन्य विभाग में भी हो तो सच में हमारा बिहार भारत में नंबर वन हो जायेगा.
जय भारत 
जय बिहार 
जय शिक्षक 
जय शिक्षक महासंघ
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आशुतोष 
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