साथियों,एक कहावत है, “अपने दिल से जानो पराये दिल का हाल”.इस दर्द को हमारे सम्मानीय शिक्षक
ज्यादा महसूस कर सकते है.बिहार सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन 2011 में किया था.उस समय इस परीक्षा के लिए
प्रशिक्षित/अप्रशिक्षित होना शर्त नहीं था.आवेदक इंटर,स्नातक,स्नाकोत्तर या B.ED.हो
परीक्षा दे सकता था.परीक्षा में लाखों में कुछ पास हुए.
2012 में परीक्षा परिणाम घोषित हुआ और
अभ्यर्थियों के चयन का अधिकार नियोजन इकाई को स्वतंत्र रूप से दे दिया गया.यानि हर
नियोजन इकाई में फॉर्म जमा करना था.परीक्षा परिणाम के बाद शर्त रखी गयी,जो प्रशिक्षित है वही फॉर्म जमा कर
सकते है.बाद में अत्यंत पिछड़ा वर्ग(EBC) और SC/ST के सभी अप्रशिक्षित छात्रों को छुट
मिली.बच गए पिछड़ा(BC) और सामान्य वर्ग के अप्रशिक्षित
अभ्यर्थी.इन अभ्यर्थियों ने तत्काल प्रशिक्षित होने के लिये B.ED. किया और कुछ कर रहे है.इसी बीच
प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित EBC/SC/ST का
नियोजन शुरू हो गया.
आपको
याद होगा कि एक नियोजन इकाई में 4-5
बार जाना पड़ता था.कभी पहला कौन्सेलिंग तो कभी दूसरा कौन्सेलिंग तो कभी सहमती पत्र
तो कभी स्कूल चयन.याद है ना ?बहुत
दौड़े है.कभी नवादा तो कभी गोपालगंज,कभी
दरभंगा-मधुवनी तो कभी सुदूर नगर पंचायत में.
क्यों
दौड़े? क्यूंकि हम शिक्षित बेरोजगार
थे.शिक्षित थे इसलिए गलत काम करके रूपए नहीं कमा सकते थे.यह शिक्षा का ईमान
है.हमें नौकरी मिली,खुश हो गए.अपनी लड़ाई वेतनमान के लिए
होने लगी.आधा-अधुरा वेतनमान भी मिल गया.निश्चित होकर वह अच्छी तरह से लड़ सकते है
जिसका बैक-अप मजबूत होता है.नियोजित शिक्षकों को कुछ नेताओं का समर्थन भी मिला
.कुछ नियोजितों के शिक्षक नेता उभरकर सामने आये.
पर
इस लड़ाई में हमारे कुछ साथी काफी पीछे छूट गये है.शायद हमारे समूह से अलग हो गये
है.और वे है,TET-STET पास हमारे अनियोजित साथी.
जब
कोई बंदा शिक्षित-बेरोजगार हो और परीक्षा पास कर प्रशिक्षित हो जाये,फिर भी बेरोजगार कहलाये.इस दर्द को हम
अच्छी तरह समझ सकते है.अनियोजितों के दर्द को भी समझे और इनके हक़ के लिए खड़े
हो.मैं Ashutosh तमाम शिक्षक नेताओं से आग्रह करता हूँ
कि जितने भी TET-STET पास अनियोजित साथी है,उनके शीघ्र से शीघ्र नियोजन के लिए संघ
और सरकार से तालमेल बैठाकर इनकी मदद करे,उसे
उसका हक़ दिलवाये.
जब
शिक्षकों को 6 माह वेतन नहीं मिलता है तो कितनी
दिक्कत होती है,उस दर्द से सभी गुजर रहे है.पर एक
उम्मीद रहती है कि वेतन मिलेगा.पर जो अनियोजित है,उनके पास तो उम्मीद करने के लिए कुछ बचा ही नहीं है.उम्मीद टूटती जा
रही है.इस स्थिति में हमारी यह नैतिक जिम्मेवारी है कि अनियोजितों के शीघ्र से
शीघ्र नियोजन के लिए आवाज उठाये और उनके नियोजन के लिए प्रयास करे.हमारे शिक्षक
नेता इस मुद्दे को गंभीरता से ले और तुरंत सरकार से मिलकर सकारात्मक प्रयास करे.यह
लड़ाई सिर्फ वेतनमान के लिए ही नहीं बल्कि पूर्ण नियोजन के लिए भी है.
अच्छी
बात है कि हमारे कुछ नेता इस दिशा में प्रयत्नशील भी है.उम्मीद है कि बहुत जल्द ही
अनियोजित साथी भी किसी विद्यालय में शिक्षक बनकर शिक्षा और शिक्षक की गुणवत्ता को
बरकरार रखेंगे.
जय
भारत
जय
बिहार
जय
शिक्षक
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आशुतोष
10+2 शिक्षक
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