केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में कार्यरत डेढ़ लाख से अधिक शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है । केंद्र के मुताबिक ये राज्य की जिम्मेदारी है की वह शिक्षा मित्रों को कितना मानदेय देता है । इसमें केंद्र न तो इसके लिए अलग से बजट देगा और न हि राज्य को दिशा निर्देश जारी करेगा ।
देश भर में ऐसे आठ लाख से भी अधिक शिक्षक कार्यरत हैं । सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्यों में बारे पैमाने पर अस्थाई शिक्षकों की भर्ती की गयी है जिन्हें तीन से पांच हजार रुपये प्रतिमाह दिए जाते हैं । इन शिक्षकों से पूरा काम भी लिया जाता है । जबकि इनके साथ काम कर रहे अन्य शिक्षकों का वेतन बीस हजार रुपये या इससे अधिक होता है । अरसे से इनके वेतन में बढ़ोतरी नहीं हुई है । शिक्षा का अधिकार कानून के लागू होने के बाद इन शिक्षकों की तरफ से वेतन वृद्धि को लेकर बड़े पैमाने पर धरने - प्रदर्शन भी किये गए । उन्हें उम्मीद जगी थी । लेकिन राज्यों ने कुछ नहीं किया । राज्य इसकी जिम्मेदारी केंद्र पर डाल रहे हैं । इस सन्दर्भ में मानव संसाधन विकास मंत्रालय में स्कूल शिक्षा विभाग की अतिरिक्त सचिव वृंदा स्वरुप ने कहा की शिक्षा मित्रों का मानदेय केंद्र नहीं राज्य तय करेंगे ।
उन्होंने कहा की इसके लिए केंद्र राज्यों को अलग से राशि नहीं देता है । लेकिन RTE के तहत मिल रही राशि का इस्तेमाल शिक्षा मित्रों पर किया जा सकता है जो 65 एवं 35 की केंद्र राज्य की हिस्सेदारी के फोर्मुले पर होगा ।
10+2 computer teacher ka apply kab se hoga nishant.
ReplyDeleteसॉरी दोस्त ........बिहार सरकार ने अभी तक इस सम्बन्ध में कोई भी निर्देश जारी नहीं किया है ।
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