टी वी पर देखा, आप कह रहे थे कि आपने इस देश को भोजन का अधिकार दिया - आप बड़े आदमी हैं। आप कह रहे हैं तो प्रामाणिक रूप से ही कह रहे होंगे परन्तु हे सोनिया नन्दन ! जहाँ तक मेरा विश्वास है, मैं तो उस समय से भोजन करता आ रहा हूँ जब आपश्री का जन्म भी नहीं हुआ था बल्कि आपके स्वर्गीय पिताजी का विवाह भी नहीं हुआ था। और मैं ही क्यों मेरे पिताजी भी रोज़ भोजन करते थे, उनके पिताजी भी करते ही होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है तो फिर आपने भोजन का अधिकार किसको दिया ? और हे नेहरुकुल भूषण ! आप होते कौन हैं हमें भोजन का अधिकार देने वाले ? जिस परमात्मा ने जन्म दिया है उसने हमारे भोजन का भी प्रबंध कर दिया है - बस आप तो यह ध्यान रखो कि हमारा भोजन आपकी पार्टी वाले न खा जाएँ हे परमप्रतापी राजीवांश ! आप में बहुत एनर्जी है इसे यों जगह जगह घूम कर और वोटों के लिए चिल्ला चिल्ला कर खर्च मत करो, बल्कि जल्दी से शादी वादी करके किसी सुकन्या को आपके दो-चार बच्चों की माँ बनने का अधिकार दे दो। क्योंकि सत्ता तो आती जाती रहती है, परन्तु ये जवानी का मौसम एक बार गुज़र गया तो फिर ढूंढते रह जाओगे ,,,मुझे इसका अच्छा खासा अनुभव हो चुका है इसलिए हे काँग्रेस कुल गौरव ! मेरा पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है , मैं तो स्नेहवश आपको सावधान कर रहा हूँ - क्योंकि नेहरू के बाद इंदिरा, इंदिरा के बाद राजीव और राजीव के बाद आप परन्तु आपके बाद कौन ? ज़रा अपनी परंपरा का भी ध्यान रखो - गांधी परिवार बच्चे पैदा नहीं करेगा तो भारत में राज करने के लिए प्रधानमंत्री बनने क्या आसमान से कोई फरिश्ता आयेगा ? थोड़े में बहुत कह दिया है और मुफ्त में कह दिया है। अगर बात पसन्द आये तो इस बार इलेक्शन में कमल का बटन दबा देना और नहीं आये तो कोई बात नहीं
(1) मुंगेर जिप = 2 जनवरी से 4 जनवरी (2) दरभंगा जिप = 6 और 7 जनवरी (3) सीवान जिप = 4 और 5 जनवरी (4) सुपौल जिप / नप ==10 जनवरी के आसपास (5) कटिहार जिप = 10 जनवरी के आसपास (6) सीतामढ़ी जिप = 10 जनवरी के आसपास (7) मुजफ्फरपुर जिप / नप = 10 जनवरी के आसपास (8) अररिया सहमति जिप /नप = 10 जनवरी के आसपास (9) सहरसा सहमति = अप्रशिक्षित = जिप = 7 जनवरी (10) मधुबनी सहमति == 10 जनवरी के आसपास
हजारों सालोंसे हमारे यहाँ मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता आया है। अभी कुछ सालो पहले तक गाँव की शादियों में तो मिट्टी के बर्तन ही उपयोग में आते थे। घरों में दाल पकाने, दूध गरम करने, दही ज़माने, चावल बनाने और आचार रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता रहा है। मिट्टी के बर्तन में जो भोजन पकता है उसमे सुक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) की कमी नही होती जबकि प्रेशर कुकर व अन्य बर्तनों में पकाने से सुक्ष्म पोषक तत्वों कम हो जाते हैं जिससे हमारे भोजन की पौष्टिकता कम हो जाती है। खाना धीरे धीरे पकाना चाहिए तभी वह पौष्टिक और स्वादिष्ट पकेगा और उसके सुक्ष्म पौषक तत्वों सुरक्षित रहेंगे। हमारे शारीर को प्रतिदिन 18 प्रकार के सुक्ष्म पौषक तत्त्व चाहिये जो मिट्टी से ही आते है। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण हमारे यहाँ पूरी के मंदिरों (उड़ीसा) के अलावा कई मंदिरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनता है। अधिक जानकारी के लिए पूरी के मंदिर की रसोई देखे।
अपने आसपास के कुम्हारों से मिट्टी के बर्तन लें व उन्हें बनाने के लिए प्रेरित करें।
आदरणीय राहुल गांधी जी,
ReplyDeleteसादर नमो नमो
टी वी पर देखा, आप कह रहे थे कि आपने इस देश को भोजन का अधिकार दिया - आप बड़े आदमी हैं। आप कह रहे हैं तो प्रामाणिक रूप से ही कह रहे होंगे परन्तु हे सोनिया नन्दन ! जहाँ तक मेरा विश्वास है, मैं तो उस समय से भोजन करता आ रहा हूँ जब आपश्री का जन्म भी नहीं हुआ था बल्कि आपके स्वर्गीय पिताजी का विवाह भी नहीं हुआ था। और मैं ही क्यों मेरे पिताजी भी रोज़ भोजन करते थे, उनके पिताजी भी करते ही होंगे, ऐसा मेरा विश्वास है
तो फिर आपने भोजन का अधिकार किसको दिया ? और हे नेहरुकुल भूषण ! आप होते कौन हैं हमें भोजन का अधिकार देने वाले ? जिस परमात्मा ने जन्म दिया है उसने हमारे भोजन का भी प्रबंध कर दिया है - बस आप तो यह ध्यान रखो कि हमारा भोजन आपकी पार्टी वाले न खा जाएँ
हे परमप्रतापी राजीवांश ! आप में बहुत एनर्जी है इसे यों जगह जगह घूम कर और वोटों के लिए चिल्ला चिल्ला कर खर्च मत करो, बल्कि जल्दी से शादी वादी करके किसी सुकन्या को आपके दो-चार बच्चों की माँ बनने का अधिकार दे दो। क्योंकि सत्ता तो आती जाती रहती है, परन्तु ये जवानी का मौसम
एक बार गुज़र गया तो फिर ढूंढते रह जाओगे ,,,मुझे इसका अच्छा खासा अनुभव हो चुका है इसलिए हे काँग्रेस कुल गौरव ! मेरा पॉलिटिक्स से कोई
लेना देना नहीं है , मैं तो स्नेहवश आपको सावधान कर रहा हूँ - क्योंकि नेहरू के बाद इंदिरा, इंदिरा के बाद राजीव और राजीव के बाद आप परन्तु
आपके बाद कौन ? ज़रा अपनी परंपरा का भी ध्यान रखो - गांधी परिवार बच्चे पैदा नहीं करेगा तो भारत में राज करने के लिए प्रधानमंत्री बनने क्या
आसमान से कोई फरिश्ता आयेगा ?
थोड़े में बहुत कह दिया है और मुफ्त में कह दिया है। अगर बात पसन्द आये तो इस बार इलेक्शन में कमल का बटन दबा देना और नहीं आये तो कोई बात नहीं
जय हिन्द !
camp ka koi fixed date nikala ki nahi???
ReplyDeleteआने वाली कौंसलिंग / सहमति का समय ==
ReplyDelete(1) मुंगेर जिप = 2 जनवरी से 4 जनवरी
(2) दरभंगा जिप = 6 और 7 जनवरी
(3) सीवान जिप = 4 और 5 जनवरी
(4) सुपौल जिप / नप ==10 जनवरी के आसपास
(5) कटिहार जिप = 10 जनवरी के आसपास
(6) सीतामढ़ी जिप = 10 जनवरी के आसपास
(7) मुजफ्फरपुर जिप / नप = 10 जनवरी के आसपास
(8) अररिया सहमति जिप /नप = 10 जनवरी के आसपास
(9) सहरसा सहमति = अप्रशिक्षित = जिप = 7 जनवरी
(10) मधुबनी सहमति == 10 जनवरी के आसपास
मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करें -
ReplyDeleteहजारों सालोंसे हमारे यहाँ मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता आया है। अभी कुछ सालो पहले तक गाँव की शादियों में तो मिट्टी के बर्तन ही उपयोग में आते थे। घरों में दाल पकाने, दूध गरम करने, दही ज़माने, चावल बनाने और आचार रखने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग होता रहा है। मिट्टी के बर्तन में जो भोजन पकता है उसमे सुक्ष्म पोषक तत्वों (Micronutrients) की कमी नही होती जबकि प्रेशर कुकर व अन्य बर्तनों में पकाने से सुक्ष्म पोषक तत्वों कम हो जाते हैं जिससे हमारे भोजन की पौष्टिकता कम हो जाती है। खाना धीरे धीरे पकाना चाहिए तभी वह पौष्टिक और स्वादिष्ट पकेगा और उसके सुक्ष्म पौषक तत्वों सुरक्षित रहेंगे।
हमारे शारीर को प्रतिदिन 18 प्रकार के सुक्ष्म पौषक तत्त्व चाहिये जो मिट्टी से ही आते है। मिट्टी के इन्ही गुणों और पवित्रता के कारण हमारे यहाँ पूरी के मंदिरों (उड़ीसा) के अलावा कई मंदिरों में आज भी मिट्टी के बर्तनों में प्रसाद बनता है। अधिक जानकारी के लिए पूरी के मंदिर की रसोई देखे।
अपने आसपास के कुम्हारों से मिट्टी के बर्तन लें व उन्हें बनाने के लिए प्रेरित करें।
वन्देमातरम|
tet 2013 ka v nyojan hoga kia plz help me
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