"मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से करीब 9,85,475 स्मारक, अस्पताल, सड़क तथा योजनायें हैं..!" . "नेहरु के नाम से करीब 7,46,185 योजनायें स्मारक है..!" . "इंदिरा गांधी के नाम से करीब 6,52,864 सड़कें, इमारत, योजनायें है..!" . "राजीव गांधी के नाम से करीब 6,95,824 योजनायें, भवन, अस्पताल, स्कूल है..!" . "लेकिन इस देश में- चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, उधमसिंह, करतार सिंह सराबा, राजेंद्र लाहड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल, रानी लक्ष्मीबाई, बिरसा मुण्डा, जैसे बाकि के लगभग 7 लाख 32 हजार क्रांतिकारी जिन्होंने इस देश को आज़ाद कराने के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों की आहुति दी उनके नाम..?" . "क्या भारत सिर्फ नेहरु-गाँधी खानदान की जागीर है क्या..?" "वन्दे-मातरम्" 'जय-माँ-भारती'! !
हमारे देश मेँ एक सबसे बड़ा झूठ प्रचारित किया जाता है कि अंग्रेजी के बिना कुछ नहीँ हो सकता क्योँकि यह पूरे विश्व की भाषा है और सबसे समृद्ध है। आइये आपको अंग्रेजी की सच्चाई
बताते हैँ- 1. भारत ही शायद अकेला ऐँसा देश है जहाँ विदेशी भाषा अंग्रजी मेँ शिक्षा दी जाती है। बाकि सभी देश अपनी मातृ भाषा मेँ ही अपनी शिक्षा ग्रहण करते है। 2. पूरे विश्व मेँ सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा चीनी है फिर तीसरे स्थान पर अंग्रेजी और चौथे में हिंदी है। 3. हमारा देश ही एकमात्र अकेला ऐँसा देश हैजहाँ विदेशी भाषा मेँ समाचार पत्र छपते हैँ। बाकि किसी भी दूसरे देश मेँ विदेशी भाषा मेँ अखबार नहीँ छपते हैँ। और अगर छपते भी हैँ तो बहुत कम मात्रा मेँ। 4. अंग्रजी भाषा की डिक्शनरी मेँ मात्र चार लाख शब्द हैँ और अंग्रेजी के मूल शब्द सिर्फ 65 हजार हैँ बाकि दूसरे भाषाओँ से चोरी किये हुये शब्द हैँ। इसके विपरीत हिन्दी मेँ 70 लाख तथा संस्कृत मेँ 100 अरब से भी अधिक शब्द हैँ और जिस भाषा का शब्दकोष जितना अधिक होता है वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध होती है अर्थात अंग्रेजी का व्याकरण सबसे खराब है। 5. दुनिया का कोई भी धर्मशास्त्र और अन्य पुस्तकेँ कभी अंग्रेजी मेँ नही लिखी गयी। इसके अलावा कोई भी दर्शनशास्त्री, धर्मशास्त्री आजतक अंग्रेजी भाषा बोलने वाला नहीँ हुआ। रुसो, प्लूटो, अरस्तू इत्यादि इनका अंग्रेजी भाषा से कोई लेना-देना नहीँ था। यहाँ तक कीईसा मसीह की अपनी भाषा कभी भी अंग्रेजी नहीँ रही। ईसा मसीह ने जो उपदेश दिये थे वो भी अंग्रेजी भाषा मेँ कभी नहीँ दिये। बल्कि ईसा मसीह ने अरमेक भाषा में अपने उपदेश दिए थे। और बाइबिल भी अंग्रेजी भाषामेँ नहीँ लिखी गयी थी। बल्कि अरमेक भाषा में लिखी गयी थी। अरमेक भाषा की लिपि बिल्कुल बांग्ला भाषा की लिपि के तरह थी। 6. सयुक्त राष्ट्र महासंघ और नासा की रिपोर्ट के अनुसार संस्कृत भाषा कम्प्यूटर के लिये सबसे उत्तम् है क्योँकि इसका व्याकरण शत् प्रतिशत शुद्ध है। इसके अलावा अंग्रेजों ने दुनिया में सबसे कम वैज्ञानिक शोध कार्य किये। तो मित्रोँ ये कहानी है अंग्रजी भाषा की और हमारे देश मेँ बच्चोँ के ऊपर जबरदस्ती अंग्रेजी थोप दी जाती है। तथा बच्चा बेचारा सारी उम्र अंग्रेजी का मारा फिरता रहता है। और उसके सिर्फ अंग्रेजी सीखने के चक्कर मेँ दूसरे महत्वपूर्ण विषय छूट जाते हैँ। इसके अलावा जब सेना के ऑफिसर की भर्ती होती है तो वहाँ भी अंग्रेजी आना जरुरी होता है। अब अंग्रेजी का फौज से क्या लेना देना। विश्व के ताकतवर देश चीन जापान जर्मनी फ्राँस इत्यादि देश के सैनिक तो अंग्रेजी जानते भी नहीँ हैँ। मित्रो विडंबना देखे अंग्रेजी बोलने में प्रथम ऑस्ट्रेलिया फिर कनाडा तथा त्रतेय स्थान भारत का है।यदी केवल भारत अंग्रेजी बोलना छोड़ दे तो अंग्रेजी का स्थान ६ हो जायेगा। तो मित्रोँ हमको इस अंग्रेजियत की गुलामी से बाहर निकलना होगा। क्योँकि किसी भी राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास सिर्फ उनकी मातृभाषा और राष्ट्रभाषा मेँ हो सकता ह
"मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से करीब
ReplyDelete9,85,475
स्मारक, अस्पताल, सड़क तथा योजनायें हैं..!"
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"नेहरु के नाम से करीब 7,46,185 योजनायें
स्मारक है..!"
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"इंदिरा गांधी के नाम से करीब 6,52,864 सड़कें,
इमारत, योजनायें है..!"
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"राजीव गांधी के नाम से करीब 6,95,824
योजनायें,
भवन, अस्पताल, स्कूल है..!"
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"लेकिन इस देश में- चन्द्रशेखर आज़ाद, भगत
सिंह, सुखदेव,
राजगुरु, उधमसिंह, करतार
सिंह
सराबा, राजेंद्र लाहड़ी, राम प्रसाद बिस्मिल,
रानी लक्ष्मीबाई, बिरसा मुण्डा, जैसे बाकि के
लगभग 7
लाख 32 हजार क्रांतिकारी जिन्होंने इस देश
को आज़ाद कराने के लिए हँसते-हँसते अपने
प्राणों की आहुति दी उनके नाम..?"
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"क्या भारत सिर्फ नेहरु-गाँधी खानदान
की जागीर है
क्या..?"
"वन्दे-मातरम्"
'जय-माँ-भारती'! !
हमारे देश मेँ एक सबसे बड़ा झूठ प्रचारित किया जाता है
कि अंग्रेजी के बिना कुछ नहीँ हो सकता क्योँकि यह पूरे विश्व
की भाषा है और सबसे समृद्ध है। आइये आपको अंग्रेजी की सच्चाई
बताते हैँ-
1. भारत ही शायद अकेला ऐँसा देश है जहाँ विदेशी भाषा अंग्रजी मेँ
शिक्षा दी जाती है। बाकि सभी देश अपनी मातृ भाषा मेँ
ही अपनी शिक्षा ग्रहण करते है।
2. पूरे विश्व मेँ सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा चीनी है फिर
तीसरे स्थान पर
अंग्रेजी और चौथे में हिंदी है।
3. हमारा देश ही एकमात्र अकेला ऐँसा देश हैजहाँ विदेशी भाषा मेँ
समाचार पत्र छपते हैँ। बाकि किसी भी दूसरे देश मेँ विदेशी भाषा मेँ
अखबार नहीँ छपते हैँ। और अगर छपते भी हैँ तो बहुत कम मात्रा मेँ।
4. अंग्रजी भाषा की डिक्शनरी मेँ मात्र चार लाख शब्द हैँ और
अंग्रेजी के मूल शब्द सिर्फ 65 हजार हैँ बाकि दूसरे भाषाओँ से
चोरी किये हुये शब्द हैँ। इसके विपरीत हिन्दी मेँ 70 लाख तथा संस्कृत
मेँ 100 अरब से भी अधिक शब्द हैँ और जिस भाषा का शब्दकोष
जितना अधिक होता है वह भाषा उतनी ही अधिक समृद्ध होती है
अर्थात अंग्रेजी का व्याकरण सबसे खराब है।
5. दुनिया का कोई भी धर्मशास्त्र और अन्य पुस्तकेँ कभी अंग्रेजी मेँ
नही लिखी गयी। इसके अलावा कोई भी दर्शनशास्त्री,
धर्मशास्त्री आजतक
अंग्रेजी भाषा बोलने वाला नहीँ हुआ। रुसो, प्लूटो, अरस्तू
इत्यादि इनका अंग्रेजी भाषा से कोई लेना-देना नहीँ था। यहाँ तक
कीईसा मसीह की अपनी भाषा कभी भी अंग्रेजी नहीँ रही। ईसा मसीह ने
जो उपदेश दिये थे
वो भी अंग्रेजी भाषा मेँ कभी नहीँ दिये। बल्कि ईसा मसीह ने अरमेक
भाषा में अपने उपदेश दिए थे। और बाइबिल भी अंग्रेजी भाषामेँ
नहीँ लिखी गयी थी। बल्कि अरमेक भाषा में लिखी गयी थी। अरमेक
भाषा की लिपि बिल्कुल बांग्ला भाषा की लिपि के तरह थी।
6. सयुक्त राष्ट्र महासंघ और नासा की रिपोर्ट के अनुसार संस्कृत
भाषा कम्प्यूटर के लिये सबसे उत्तम् है क्योँकि इसका व्याकरण शत्
प्रतिशत
शुद्ध है। इसके अलावा अंग्रेजों ने दुनिया में सबसे कम वैज्ञानिक शोध
कार्य किये। तो मित्रोँ ये कहानी है अंग्रजी भाषा की और हमारे देश मेँ
बच्चोँ के ऊपर जबरदस्ती अंग्रेजी थोप दी जाती है।
तथा बच्चा बेचारा सारी उम्र अंग्रेजी का मारा फिरता रहता है। और
उसके सिर्फ अंग्रेजी सीखने के चक्कर मेँ दूसरे महत्वपूर्ण विषय छूट
जाते हैँ। इसके अलावा जब सेना के ऑफिसर की भर्ती होती है
तो वहाँ भी अंग्रेजी आना जरुरी होता है।
अब अंग्रेजी का फौज से क्या लेना देना। विश्व के ताकतवर देश चीन
जापान जर्मनी फ्राँस इत्यादि देश के सैनिक तो अंग्रेजी जानते
भी नहीँ हैँ।
मित्रो विडंबना देखे अंग्रेजी बोलने में प्रथम ऑस्ट्रेलिया फिर
कनाडा तथा त्रतेय स्थान भारत का है।यदी केवल भारत
अंग्रेजी बोलना छोड़ दे तो अंग्रेजी का स्थान ६ हो जायेगा।
तो मित्रोँ हमको इस अंग्रेजियत की गुलामी से बाहर निकलना होगा।
क्योँकि किसी भी राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास सिर्फ
उनकी मातृभाषा और
राष्ट्रभाषा मेँ हो सकता ह