आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देकर भले अपनी लोकसभा चुनावों की तैयारियों को बल दिया हो, लेकिन दिल्ली के लिए कई मुसीबत खड़ी कर दी। अब तक यह चिंता सता रही थी कि राजधानी को लेकर केजरीवाल की योजनाओं और फैसलों का क्या होगा, लेकिन अब इससे भी बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई है। दरअसल, दिल्ली अजीबोगरीब वित्तीय संकट का सामना कर रही है। माजरा यह है कि अरविंद केजरीवाल 49 दिन दिल्ली की सरकार में रहे, लेकिन इस बीच फाइनेंशियल स्टेटमेंट (अंतरिम बजट) पारित नहीं किया गया। यह होता, इससे पहले ही आम आदमी पार्टी ने सरकार से इस्तीफा दे दिया।
अप्रैल से कैसे चलेगा राजधानी का खर्च ?
अब दिल्ली अजीबोगरीब मोड़ पर खड़ी है। संसद का मौजूदा सत्र खत्म होने जा रहा है, ऐसे में दिल्ली को वित्तीय संकट से बचाने के लिए दिन-रात काम हो रहा है, क्योंकि 1 अप्रैल के बाद से शहर के लिए बजटीय प्रावधान का कोई इंतजाम अभी नहीं हुआ है। अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा है और अधिकारी शहर के लिए फाइनेंशियल स्टेटमेंट (अंतरिम बजट) तैयार करने और उसे शुक्रवार तक संसद के दोनों सत्रों से पारित कराने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं। इसकी वजह यह है कि 14वीं लोकसभा का मौजूदा और आखिरी सत्र शुक्रवार को खत्म हो रहा है। इससे पहले दिल्ली के अंतरिम बजट को लोकसभा और राज्यसभा, दोनों से पास कराया जाना है। लेकिन तेलंगाना मामले पर संसद में हंगामा मचा हुआ और काम नहीं हो पा रहा।
खड़ा हो सकता है वित्तीय संकट
मुख्यमंत्री पद पर बैठे अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था और उसके बाहर उप-राज्यपाल की सिफारिश पर शहर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इससे पहले दिल्ली विधानसभा 2014-15 का बजट भी पारित नहीं कर पाई। अगर केंद्र सरकार शुक्रवार तक इस बजट के लिए संसद से मंजूरी लेने में नाकाम साबित होता है, तो राष्ट्रीय राजधानी के सामने अजीबोगरीब वित्तीय संकट खड़ा हो जाएगा। केंद्र सरकार को संसद के दोनों सदनों से दिल्ली में लगे राष्ट्रपति शासन के लिए मुहर भी लगवानी है। इससे पहले आम अदमी पार्टी इस फैसले को अदालत में चुनौती दे चुकी है।
वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया प्रावधान
हालांकि, राष्ट्रपति शासन लगने से जुड़ी जरूरी अधिसूचना का काम छह महीने के भीतर अगले सत्र में भी हो सकता है, लेकिन सरकार को 1 अप्रैल से रोजमर्रा के खर्च के लिए मौजूदा सत्र में वित्तीय प्रावधानों के लिए अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी होगी। अधिकारियों का कहना है कि अगले कारोबारी साल के लिए बजटीय प्रावधानों के लिए स्टेटमेंट केजरीवाल के इस्तीफा देने से पहले तैयार था, इसलिए इसे अब उप-राज्यपाल के कार्यालय से वित्तीय मंत्रालय भेजा गया है। ऐसा गृह मंत्रालय के जरिए किया गया है, जो दिल्ली सरकार का नोडल प्रशासनिक मंत्रालय है।
क्या होगा दिल्ली का ?
एक अधिकारी ने बताया, "आपात स्थिति को समझते हुए जरूरी प्रावधान संसद के मौजूदा सत्र में लाया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि इसे गुरुवार को लोकसभा में लाया जा सकता है। इसके बाद शुक्रवार को यह राज्यसभा में जाएगा।" हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इसमें कोई दिक्कत पेश नहीं आनी चाहिए, क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल इसका विरोध नहीं करेगी। उन्होंने कहा, "यह संसद में जरूरी स्टेटमेंट लाने से जुड़ा है। इसके लिए दो दिन चाहिए, जो हमारे पास हैं।" लेकिन यह शायद इतना आसान न हो। वजह यह है कि संसद में इन दिनों कामकाज सामान्य नहीं है। तेलंगाना मुद्दे पर बवाल हो रहा है और बार-बार सदन की कार्यवाही स्थगित हो रही है। ऐसे में दिल्ली का क्या होगा?
केजरीवाल के चक्कर में दिल्ली कंगाल
ReplyDeleteकेजरीवाल ने पारित नहीं किया बजट
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देकर भले अपनी लोकसभा चुनावों की तैयारियों को बल दिया हो, लेकिन दिल्ली के लिए कई मुसीबत खड़ी कर दी।
अब तक यह चिंता सता रही थी कि राजधानी को लेकर केजरीवाल की योजनाओं और फैसलों का क्या होगा, लेकिन अब इससे भी बड़ी दिक्कत खड़ी हो गई है। दरअसल, दिल्ली अजीबोगरीब वित्तीय संकट का सामना कर रही है।
माजरा यह है कि अरविंद केजरीवाल 49 दिन दिल्ली की सरकार में रहे, लेकिन इस बीच फाइनेंशियल स्टेटमेंट (अंतरिम बजट) पारित नहीं किया गया। यह होता, इससे पहले ही आम आदमी पार्टी ने सरकार से इस्तीफा दे दिया।
अप्रैल से कैसे चलेगा राजधानी का खर्च ?
अब दिल्ली अजीबोगरीब मोड़ पर खड़ी है। संसद का मौजूदा सत्र खत्म होने जा रहा है, ऐसे में दिल्ली को वित्तीय संकट से बचाने के लिए दिन-रात काम हो रहा है, क्योंकि 1 अप्रैल के बाद से शहर के लिए बजटीय प्रावधान का कोई इंतजाम अभी नहीं हुआ है।
अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लगा है और अधिकारी शहर के लिए फाइनेंशियल स्टेटमेंट (अंतरिम बजट) तैयार करने और उसे शुक्रवार तक संसद के दोनों सत्रों से पारित कराने के लिए ओवरटाइम कर रहे हैं।
इसकी वजह यह है कि 14वीं लोकसभा का मौजूदा और आखिरी सत्र शुक्रवार को खत्म हो रहा है। इससे पहले दिल्ली के अंतरिम बजट को लोकसभा और राज्यसभा, दोनों से पास कराया जाना है। लेकिन तेलंगाना मामले पर संसद में हंगामा मचा हुआ और काम नहीं हो पा रहा।
खड़ा हो सकता है वित्तीय संकट
मुख्यमंत्री पद पर बैठे अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था और उसके बाहर उप-राज्यपाल की सिफारिश पर शहर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। इससे पहले दिल्ली विधानसभा 2014-15 का बजट भी पारित नहीं कर पाई।
अगर केंद्र सरकार शुक्रवार तक इस बजट के लिए संसद से मंजूरी लेने में नाकाम साबित होता है, तो राष्ट्रीय राजधानी के सामने अजीबोगरीब वित्तीय संकट खड़ा हो जाएगा।
केंद्र सरकार को संसद के दोनों सदनों से दिल्ली में लगे राष्ट्रपति शासन के लिए मुहर भी लगवानी है। इससे पहले आम अदमी पार्टी इस फैसले को अदालत में चुनौती दे चुकी है।
वित्त मंत्रालय के पास भेजा गया प्रावधान
हालांकि, राष्ट्रपति शासन लगने से जुड़ी जरूरी अधिसूचना का काम छह महीने के भीतर अगले सत्र में भी हो सकता है, लेकिन सरकार को 1 अप्रैल से रोजमर्रा के खर्च के लिए मौजूदा सत्र में वित्तीय प्रावधानों के लिए अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी होगी।
अधिकारियों का कहना है कि अगले कारोबारी साल के लिए बजटीय प्रावधानों के लिए स्टेटमेंट केजरीवाल के इस्तीफा देने से पहले तैयार था, इसलिए इसे अब उप-राज्यपाल के कार्यालय से वित्तीय मंत्रालय भेजा गया है।
ऐसा गृह मंत्रालय के जरिए किया गया है, जो दिल्ली सरकार का नोडल प्रशासनिक मंत्रालय है।
क्या होगा दिल्ली का ?
एक अधिकारी ने बताया, "आपात स्थिति को समझते हुए जरूरी प्रावधान संसद के मौजूदा सत्र में लाया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि इसे गुरुवार को लोकसभा में लाया जा सकता है। इसके बाद शुक्रवार को यह राज्यसभा में जाएगा।"
हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि इसमें कोई दिक्कत पेश नहीं आनी चाहिए, क्योंकि कोई भी राजनीतिक दल इसका विरोध नहीं करेगी। उन्होंने कहा, "यह संसद में जरूरी स्टेटमेंट लाने से जुड़ा है। इसके लिए दो दिन चाहिए, जो हमारे पास हैं।"
लेकिन यह शायद इतना आसान न हो। वजह यह है कि संसद में इन दिनों कामकाज सामान्य नहीं है। तेलंगाना मुद्दे पर बवाल हो रहा है और बार-बार सदन की कार्यवाही स्थगित हो रही है। ऐसे में दिल्ली का क्या होगा?