Wednesday, January 29, 2014

टीचर बनकर खिल उठे 100 चेहरे



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  1. ताकत वतन की हमसे है, हिम्मत वतन की हमसे है।
    इज्ज़त वतन की हमसे है, इंसान के हम रखवाले।।

    पहरेदार हिमालय के हम, झोंके हैं तूफ़ान के।
    सुनकर गरज हमारी, सीने फट जाते चट्टान के।।

    सीना है फौलाद का अपना, फूलो जैसा दिल है।
    तन में विन्ध्याजल का बल है, मन में ताजमहल है।।

    देकर अपना खून सींचते देश की हम फुलवारी।
    बंसी से बन्दूक बनाते हम वो प्रेम पुजारी।।

    आकर हमको कसम दे गई राखी किसी बहन की।
    देंगे अपना शीश न देंगे मिट्टी मगर वतन की।।

    खतरे में हो देश अरे तब लड़ना सिर्फ धरम है।
    मरना है क्या चीज़ आदमी लेता नया जनम है।।

    एक जान है एक प्राण है सारा देश हमारा।
    नदियाँ चल कर थकी रुकी पर कभी न गंगा धरा।।

    ताकत वतन की हमसे है , हिम्मत वतन की हमसे है।
    इज्ज़त वतन की हमसे है, इंसान के हम रखवाले।।

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