Saturday, January 25, 2014

शिक्षक भर्ती में मुखिया का रहना जरुरी नहीं


जब तक सभी विषय के लिए अलग अलग एक ही अंतिम मेघा सूची नहीं बनाया जाता है और सभी अभ्यर्थियों को कट ऑफ के साथ " पटना "  नहीं बुलाया जाता है , इस समस्या का हल नहीं निकलने वाला है |

जो अभ्यर्थी किसी भी ज़िले की मेघा सूची में सीट के अंदर हैं वो सेफ हैं बाकि सबको भाग दौर करना होगा और जॉब कि गारंटी नहीं होगी | 






1 comment:

  1. आपने देखा होगा कि बहुत से लोग बाएं कांधे से दाएं बाजू
    की ओर एक कच्चा धागा लपेटे रहते हैं। इस धागे को
    जनेऊ कहते हैं। जनेऊ का धार्मिक दृष्टि से बड़ा महत्व है।

    जनेऊ का निर्माण दो तूड़ियों से किया जाता है जिसमें
    तीन -तीन लपेट होते हैं। तीनों लपेट क्रमशः ब्रह्मा,
    विष्णु और महेश इन तीनों देवताओं के प्रतीक माने
    गए हैं। धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि जनेऊ
    धारण करने से शरीर शुद्घ और पवित्र होता है।

    जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से जनेऊ स्वास्थ्य और
    पौरुष के लिए बहुत ही लाभकारी होता है। यह
    हृदय रोग की संभावना को कम करता है।
    चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दाएं कान की
    नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ा होता है।

    मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने
    से शुक्र की रक्षा होती है। जिन पुरुषों को बार-बार
    बुरे स्वप्न आते हैं उन्हें सोते समय कान पर
    जनेऊ लपेट कर सोना चाहिए। माना जाता है
    कि इससे बुरे स्वप्न की समस्या से मुक्ति
    मिल जाती है।

    कान पर जनेऊ लपेटने से पेट संबंधी रोग एवं रक्तचाप
    की समस्या से भी बचाव होता है। माना जाता है कि शरीर
    के पृष्ठभाग में पीठ पर जाने वाली एक प्राकृतिक रेखा है
    जो विद्युत प्रवाह की तरह काम करती है।

    यह रेखा दाएं कंधे से लेकर कमर तक स्थित है। जनेऊ
    धारण करने से विद्युत प्रवाह नियंत्रित रहता है जिससे
    काम-क्रोध पर नियंत्रण रखने में आसानी होती है।

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