Wednesday, January 22, 2014

" JEHANABAD " : Madhyamik Shikshak

1 comment:

  1. परी हो तुम गुजरात की, रूप तेरा मद्रासी !
    सुन्दरता कश्मिर की तुममे ,सिक्किम जैसा शर्माती !!

    खान-पान पंजाबी जैसा, बंगाली जैसी बोली !
    केरल जैसा आंख तुम्हारा ,है दिल तो तुम्हारा दिल्ली !!

    महाराष्ट्र तुम्हारा फ़ैशन है, तो गोवा नया जमाना !
    खुशबू हो तुम कर्नाटक कि,बल तो तेरा हरियाना !!

    सिधी-सादी ऊड़ीसा जैसी,एम.पी जैसा मुस्काना !
    दुल्हन तुम राजस्थानी जैसी ,त्रिपुरा जैसा इठलाना !!

    झारखन्ड तुम्हारा आभूषण,तो मेघालय तुम्हारी बिन्दीया है !
    सीना तो तुम्हारा यू.पी है तो ,हिमांचल तुम्हारी निन्दिया है !!

    कानों का कुन्डल छत्तीसगढ़ ,तो मिज़ोरम तुम्हारा पायल है !
    बिहार गले का हार तुम्हारा ,तो आसाम तुम्हारा आंचल है !!

    नागालैन्ड- आन्ध्र दो हाथ तुम्हारे, तो ज़ुल्फ़ तुम्हारा अरुणांचल है !
    नाम तुम्हारा भारत माता, तो पवित्रता तुम्हारा ऊत्तरांचल है !!

    सागर है परिधान तुम्हारा,तिल जैसे है दमन- द्वीव !
    मोहित हो जाता है सारा जग,रहती हो तुम कितनी सजीव !!

    अन्डमान और निकोबार द्वीप,पुष्पों का गुच्छ तेरे बालों में !
    झिल-मिल,झिल-मिल से लक्षद्वीप, जो चमक रहे तेरे गालों में !!

    ताज तुम्हारा हिमालय है ,तो गंगा पखारती चरण तेरे !
    कोटि-कोटि हम भारत वासियों का ,स्वीकारो तुम नमन मेरे !!
    ~~~जय हिन्द जय भारत ~~~

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