मिट गए हिन्द पर इन्कलाबी,मिटे अहिंसक और ज्ञानी हैं स्तब्ध आसमां और धरती,बेकार गई सब क़ुरबानी !
है फजूल मेरा इंतज़ार,यहाँ इन्कलाब कोई लाएगा अपने ही दिलों कि कैद से,आज़ादी हमें दिलाएगा ठंडा हुआ जोश भगत-सिंह का,गुरु नानक भूल गए वाणी हो गया हिमालय पत्थर का,हुई भागीरथी पानी पानी !
लीन समाधि में बैठा, राम न आँखें खोल रहा कबसे अयोध्या में रावण,इंसानियत को तोल रहा कबसे बाट जोह रही,लंका में सीता दीवानी मैं दीप जला मानूं दीवाली,पर करूँ मैं किसकी अगवानी !
नहीं यक़ीं किसी को अब,कि बिन शस्त्रों के जीत पाएंगे सदियों से पाँव जमा बैठे,शत्रु को निकल पाएंगे लाख कहा उसने आओ,लोगों ने एक नहीं मानी टूटा मनोबल गांधी का,फिर हुई स्वतंत्रता बेगानी !
मिट गए हिन्द पर इन्कलाबी,मिटे अहिंसक और ज्ञानी हैं स्तब्ध आसमां और धरती,बेकार गई सब कुर्बानी !
आज शहीद दिवस पर विशेष ;
ReplyDeleteमिट गए हिन्द पर इन्कलाबी,मिटे अहिंसक और ज्ञानी
हैं स्तब्ध आसमां और धरती,बेकार गई सब क़ुरबानी !
है फजूल मेरा इंतज़ार,यहाँ इन्कलाब कोई लाएगा
अपने ही दिलों कि कैद से,आज़ादी हमें दिलाएगा
ठंडा हुआ जोश भगत-सिंह का,गुरु नानक भूल गए वाणी
हो गया हिमालय पत्थर का,हुई भागीरथी पानी पानी !
लीन समाधि में बैठा, राम न आँखें खोल रहा
कबसे अयोध्या में रावण,इंसानियत को तोल रहा
कबसे बाट जोह रही,लंका में सीता दीवानी
मैं दीप जला मानूं दीवाली,पर करूँ मैं किसकी अगवानी !
नहीं यक़ीं किसी को अब,कि बिन शस्त्रों के जीत पाएंगे
सदियों से पाँव जमा बैठे,शत्रु को निकल पाएंगे
लाख कहा उसने आओ,लोगों ने एक नहीं मानी
टूटा मनोबल गांधी का,फिर हुई स्वतंत्रता बेगानी !
मिट गए हिन्द पर इन्कलाबी,मिटे अहिंसक और ज्ञानी
हैं स्तब्ध आसमां और धरती,बेकार गई सब कुर्बानी !
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