Thursday, January 30, 2014

" MADHUBANI " : जिला परिषद माध्यमिक शिक्षक नियोजन 2012 से संबंधित


" MADHUBANI " : जिला परिषद माध्यमिक शिक्षक नियोजन 2012 से संबंधित 


Link 1 : http://madhubani.bih.nic.in/Zila%20Parishad_T_Main.htm


Link 2 http://madhubani.bih.nic.in/Downloads/Teacher/Zila%20Parishad/Zila%20Parishad_O/PRESS%20NOTE%201.pdf







1 comment:

  1. भारतीय मुसलमानो का खान उपनाम से क्या सम्बन्ध है। मेरे ख्याल से भारतीय मुसलमानो का खान सरनेम से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं। खान उपनाम वास्तव में मंगोलिया के मंगोल सरदार उपयोग करते थे। मंगोल मंगोलिया और कजाखस्तान में बसे हुए थे। मंगोल जनजातीय समन धर्मं को मानते थे और पूर्वजो और कब्रो कि पूजा करते थे कालांतर में मंगोलिया में मंगोल बुद्धा धर्मं में दीक्षित हुआ और मंगोलो कि कजाखस्तान शाखा इस्लाम में दीक्षित हुए. रुस में रहने वाले मंगोल ईसाई धर्म में दीक्षित हुआ। अफगानिस्तान में पठान (पख्तून ), हज़ारा (मंगोलो के वंसज और खान उपनाम लिखने के असली हक़दार ), ताजिक( मूल रूप से ईरानी ). इसमें केवल हज़ारा लोग ही असली खान है क्योकि वो ही मंगोलो के वंशज है। पठानो को खान उपनाम लिखने का हक़ नहीं है क्योकि पख्तूनों का मंगोल जाति से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है। पठान वास्ताव में आर्य +ग्रीक +शक लोगो में वंसज है और मूल रूप से ईरानी आर्य है। उनकी भाषा पश्तो भी आर्य भाषा है। ताजिक तो ईरानी मूल के है इसलिए शुद्ध आर्य जाति है। उज़बेक तुर्क है ( तुर्क एक मिश्रित वर्णसंकर जाति है जिसमे मंगोल रक्त का समिश्रण है इसलिए तुर्क मंगोलो के दूर के रिस्तेदार है और उन्हें खान उपनाम लिखने का कुछ तो हक़ है लेकिन पठान किस मुँह से खान सरनेम लिखते है मुझे इसका ताज्जुब है )
    जहा तक भारतीय मुसलमानो कि बात है तो ९५% भारतीय मुस्लमान हिंदुवो कि अलग अलग जातियो के धर्मान्तरित होने से बनी है। ९५% मुसलमानो के पूर्वज हिन्दू ही थे। आज भी आपको पश्चिम उत्तर प्रदेश में राजपूत मुस्लमान जाट मुस्लमान और गुज्जर मुस्लमान मिलेंगे। मुझे बड़ा ताज्जुब होता है कि भारतीय मुस्लमान बड़े गर्व से खान उपनाम लिखते है बिना ये जानें कि इस खान उपनाम से उनका दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है। पहले केवल राजपूत से धर्मान्तरित मुस्लमान और पठान ही खान उपनाम लिखते है लेकिन अब तो मुसलमानो पिछड़ी जातिया जैसे अंसारी जोलहा अदि भी खान लिखने लगे। भारतीय मुस्लमान अपनी जड़ो से कट रहे है। उन्हें नहीं भूलना चाहिए कि ९५% भारतीय मुस्लमान हिंदुवो कि ही वंसज है।

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