गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल को विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिकों ने भी मान्यता दे दी है। पश्चिमी देशों मेंगुजरात के विकास कार्य को सराहना मिलने के बाद भारतीय मूल के वैज्ञानिकों की प्रशंसा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में चल रहे विज्ञान समागम में भाग लेने आए स्विटजरलैंड में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिक प्रो. प्रमोद रस्तोगी का कहना है कि गुजरात ने कम समय में काफी प्रगति की है। इसका श्रेय मोदी को जाता है। मोदी मॉडल इस मान्यता पर आधारित है कि लोग सरकारी रियायत पर पलने की बजाय सम्मान से आजीविका कमा सकें और अपने बलबूते जिंदगी जी सकें। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में सरकारें युवाओं और बेरोजगारों को रोजगार देने की बजाय खैरात बांटने पर जोर दे रही हैं। इन प्रदेशों में शिक्षा और विज्ञान पर दूरगामी असर डालने वाले फैसले नहीं हो रहे हैं। भारतीय मूल के यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में प्रोफेसर डॉ. बी सरकार ने कहा कि किसी भी राज्य की जीडीपी विकास दर को ही आर्थिक विकास का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए। बढ़ी विकास दर का लाभ सबको मिले ऐसा समावेशी विकास ही प्रगति का मानदंड होगा। गुजरात में नरेंद्र मोदी ने इसी मॉडल को अपनाया। यही कारण है कि अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात की विकास दर 10 के करीब रही। इसके अलावा बेरोजगारी की चुनौती से निपटने के मोदी ने युवाओं के कौशल को बढ़ाने पर जोर दिया। केंद्र सरकार की योजनाओं को भी गुजरात में अच्छी तरह से लागू किया गया। युवाओं को 12वीं के बाद से ही किसी न किसी तकनीकी प्रशिक्षण दिलाने पर ध्यान किया गया।
मोदी मॉडल पर वैज्ञानिकों की मुहर........
ReplyDeleteगुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमंत्री
पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के विकास मॉडल
को विदेशों में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिकों
ने भी मान्यता दे दी है। पश्चिमी देशों मेंगुजरात
के विकास कार्य को सराहना मिलने के बाद
भारतीय मूल के वैज्ञानिकों की प्रशंसा को
महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में चल
रहे विज्ञान समागम में भाग लेने आए
स्विटजरलैंड में रह रहे भारतीय मूल के वैज्ञानिक
प्रो. प्रमोद रस्तोगी का कहना है कि गुजरात ने
कम समय में काफी प्रगति की है। इसका श्रेय
मोदी को जाता है। मोदी मॉडल इस मान्यता पर
आधारित है कि लोग सरकारी रियायत पर पलने
की बजाय सम्मान से आजीविका कमा सकें और
अपने बलबूते जिंदगी जी सकें। उत्तर प्रदेश और
बिहार जैसे राज्यों में सरकारें युवाओं और
बेरोजगारों को रोजगार देने की बजाय खैरात
बांटने पर जोर दे रही हैं। इन प्रदेशों में शिक्षा
और विज्ञान पर दूरगामी असर डालने वाले
फैसले नहीं हो रहे हैं।
भारतीय मूल के यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में
प्रोफेसर डॉ. बी सरकार ने कहा कि किसी भी
राज्य की जीडीपी विकास दर को ही आर्थिक
विकास का पैमाना नहीं माना जाना चाहिए।
बढ़ी विकास दर का लाभ सबको मिले ऐसा
समावेशी विकास ही प्रगति का मानदंड होगा।
गुजरात में नरेंद्र मोदी ने इसी मॉडल को
अपनाया। यही कारण है कि अन्य राज्यों की
तुलना में गुजरात की विकास दर 10 के करीब
रही। इसके अलावा बेरोजगारी की चुनौती से
निपटने के मोदी ने युवाओं के कौशल को बढ़ाने
पर जोर दिया। केंद्र सरकार की योजनाओं को भी
गुजरात में अच्छी तरह से लागू किया गया।
युवाओं को 12वीं के बाद से ही किसी न किसी
तकनीकी प्रशिक्षण दिलाने पर ध्यान किया गया।
Ashutosh malik, mai nawada ki 1st cncling me apear nhi ho paya, ab kya 2nd councling me ja sakta hu.
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