देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में भले ही जीत हासिल होने का दम भर रही हो,लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी इसकी उम्मीद काफी कम है। तमाम सर्वे में भी कांग्रेस की स्थति बेहद कमजोर दिखाई जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अपने प्लान बी पर भी काम करने में जुट गई है। कांग्रेस का प्लान बी किसी भी तरह नरेंद्र मोदी और एनडीए को सत्ता तक पहुंचने से रोकने का है। इसके लिएकांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अंदरूनी तौर पर एक प्लान तैयार कर चुके हैं। इस 'प्लान बी' के तहत राहुल कांग्रेस के समर्थन से किसी तीसरे मोर्चे की सरकार बनवा सकते हैं। और इस दौरान कांग्रेस को मजबूत करने के बाद मध्यावधि चुनाव की स्थिति पैदा करवा सकते हैं।
राहुल के एआईसीसी की बैठक में दिए गए एक बयान को भी उनके 'प्लान बी' से जोड़ कर देखा जा सकता है। इस बैठक में उन्होने देशभर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से NRMB यानि NOT RICH, NOT MIDDLE CLASS OR NOT BPL की बात करते हुए कहा था कि भारत में 70 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है और अगर ये वर्ग कांग्रेस का वोटर बन जाए तो आम चुनाव जीतना बेहद आसान होगा। लेकिन, इस वर्ग को वोटर बनाने के लिए कांग्रेस को वक्त की दरकार होगी।
क्या करेंगे राहुल आम चुनाव में सत्ता में नहीं पहुंचे तो राहुल कांग्रेस को मजबूत करेंगे। मोदी को रोकने की रणनीति में सफल रहने के बाद राहुल पार्टी की तैयारियों को नए सिरे से धार देंगे और कांग्रेस की दिशा-दशा बदलने के लिए काम करेंगे
कांग्रेस को बदलना चाहते हैं राहुल राहुल कांग्रेस को उसका पुराना गौरव और आम आदमी की पार्टी होने का तमगा वापस लौटाना चाहते हैं। इसका जिक्र राहुल एआईसीसी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी कर चुके हैं। लेकिन उनकी बड़ी चिंता हाल ही में होने वाले 2014 के आम चुनाव में पार्टी की वापसी की है। राहुल ने एआईसीसी की बैठक में कहा कि कांग्रेस के गिरते ग्राफ और पार्टी से लोगों की नाराजगी की वजह है कांग्रेस नेताओं का लोगों के बीच न पहुंचना। पार्टी और सरकार की योजनाओं के बारे मे लोगों से बात न करना। इसे बदलना होगा और इसमें वक्त लगेगा। राहुल खुद कह चुके हैं पार्टी में बड़े बदलाव आवरा का डाबरा करने और छड़ी घुमाने से नहीं होते। त्रिशंकु लोकसभा की स्थति में उन्हें पार्टी में बड़े बदलाव का मौका मिलेगा। तमाम मंचों से पार्टी में बड़े बदलाव और सुधार के बारे में संकेत दे चुकेराहुल गांधी 2014 के आम चुनाव के बाद की सियासी हालत का फायदा उठाना चाहेंगे। राहुल गांधी कांग्रेस को इंदिरा और राजीव के जमाने में ले जाना चाहते हैं जहां सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी।
चुनाव नहीं जीतने की स्थिति में राहुल के 'प्लान बी' को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में पहल अभी से शुरू हो गई है। हालांकि, यह पहल जदयू नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है। उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले नया गठबंधन बनाने के संकेत दिए हैं। ऐसा गठबंधन जिसमें कांग्रेस और भाजपा के विरोधी शामिल दल हों। हालांकि, उन्होंने इसे तीसरा या चौथा मोर्चा कहने से इनकार किया। वक्त की नजाकत को भांपते हुए राहुल इस मोर्चे को ही सरकार बनाने का मौका दिलवा सकते हैं।
नीतीश ने शुक्रवार को पटना में बिहार इनोवेशन फोरम के कार्यक्रम के बाद कहा, ‘भविष्य में संसद में एक ऐसे ब्लॉक की संभावना है जिसमें समान विचारधारा वाले दल हों। वाम मोर्चे के नेताओं ने इसके लिए पहल की है। जदयू उन्हें समर्थन दे रही है।’ उन्होंने कहा कि पूर्व में जनता दल का हिस्सा रहे कई दल आपस में बातचीत कर रहे हैं। लेकिन नीतीश ने ऐसे दलों के विलय की संभावना से इनकार किया।
इन दलों के बीच बातचीत संभव समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, जदयू, जेडीएस और वाम दलों के बीच बातचीत हो रही है। वाम मोर्चे का विभिन्न राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ सीटों को लेकर पहले से तालमेल है।
दो समीकरण 1. बिहार में : इस तरह के संकेत हैं कि बिहार में जदयू भाकपा और माकपा के साथ गठबंधन कर सकती है। इसकी वजह यह है कि भाकपा और माकपा के राजद, कांग्रेस और लोजपा के गठबंधन में शामिल होने के संकेत नहीं हैं।
2. सौ सीटों पर नजर : नीतीश पहले भी नए तरह के गठबंधन की बात कह चुके हैं। ऐसे में पूर्वी राज्यों में मजबूत पकड़ वाली जदयू, तृणमूल कांग्रेस और बीजद के बीच समझौता हो सकता है। नजर लगभग 100 सीटों पर होगी। बिहार में 40, पश्चिम बंगाल में 42 और उड़ीसा में 21 लोकसभा सीटें हैं।
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में भले ही जीत हासिल होने का दम भर रही हो,लेकिन कांग्रेस के बड़े नेताओं को भी इसकी उम्मीद काफी कम है। तमाम सर्वे में भी कांग्रेस की स्थति बेहद कमजोर दिखाई जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अपने प्लान बी पर भी काम करने में जुट गई है। कांग्रेस का प्लान बी किसी भी तरह नरेंद्र मोदी और एनडीए को सत्ता तक पहुंचने से रोकने का है। इसके लिएकांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अंदरूनी तौर पर एक प्लान तैयार कर चुके हैं। इस 'प्लान बी' के तहत राहुल कांग्रेस के समर्थन से किसी तीसरे मोर्चे की सरकार बनवा सकते हैं। और इस दौरान कांग्रेस को मजबूत करने के बाद मध्यावधि चुनाव की स्थिति पैदा करवा सकते हैं।
ReplyDeleteराहुल के एआईसीसी की बैठक में दिए गए एक बयान को भी उनके 'प्लान बी' से जोड़ कर देखा जा सकता है। इस बैठक में उन्होने देशभर से आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं से NRMB यानि NOT RICH, NOT MIDDLE CLASS OR NOT BPL की बात करते हुए कहा था कि भारत में 70 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं। लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं है और अगर ये वर्ग कांग्रेस का वोटर बन जाए तो आम चुनाव जीतना बेहद आसान होगा। लेकिन, इस वर्ग को वोटर बनाने के लिए कांग्रेस को वक्त की दरकार होगी।
क्या करेंगे राहुल
आम चुनाव में सत्ता में नहीं पहुंचे तो राहुल कांग्रेस को मजबूत करेंगे। मोदी को रोकने की रणनीति में सफल रहने के बाद राहुल पार्टी की तैयारियों को नए सिरे से धार देंगे और कांग्रेस की दिशा-दशा बदलने के लिए काम करेंगे
कांग्रेस को बदलना चाहते हैं राहुल
राहुल कांग्रेस को उसका पुराना गौरव और आम आदमी की पार्टी होने का तमगा वापस लौटाना चाहते हैं। इसका जिक्र राहुल एआईसीसी में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से भी कर चुके हैं। लेकिन उनकी बड़ी चिंता हाल ही में होने वाले 2014 के आम चुनाव में पार्टी की वापसी की है। राहुल ने एआईसीसी की बैठक में कहा कि कांग्रेस के गिरते ग्राफ और पार्टी से लोगों की नाराजगी की वजह है कांग्रेस नेताओं का लोगों के बीच न पहुंचना। पार्टी और सरकार की योजनाओं के बारे मे लोगों से बात न करना। इसे बदलना होगा और इसमें वक्त लगेगा। राहुल खुद कह चुके हैं पार्टी में बड़े बदलाव आवरा का डाबरा करने और छड़ी घुमाने से नहीं होते। त्रिशंकु लोकसभा की स्थति में उन्हें पार्टी में बड़े बदलाव का मौका मिलेगा। तमाम मंचों से पार्टी में बड़े बदलाव और सुधार के बारे में संकेत दे चुकेराहुल गांधी 2014 के आम चुनाव के बाद की सियासी हालत का फायदा उठाना चाहेंगे। राहुल गांधी कांग्रेस को इंदिरा और राजीव के जमाने में ले जाना चाहते हैं जहां सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी थी।
चुनाव नहीं जीतने की स्थिति में राहुल के 'प्लान बी' को अंजाम तक पहुंचाने की दिशा में पहल अभी से शुरू हो गई है। हालांकि, यह पहल जदयू नेता और
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने की है। उन्होंने लोकसभा चुनाव से पहले नया गठबंधन बनाने के संकेत दिए हैं। ऐसा गठबंधन जिसमें कांग्रेस और भाजपा के विरोधी शामिल दल हों। हालांकि, उन्होंने इसे तीसरा या चौथा मोर्चा कहने से इनकार किया। वक्त की नजाकत को भांपते हुए राहुल इस मोर्चे को ही सरकार बनाने का मौका दिलवा सकते हैं।
नीतीश ने शुक्रवार को पटना में बिहार इनोवेशन फोरम के कार्यक्रम के बाद कहा, ‘भविष्य में संसद में एक ऐसे ब्लॉक की संभावना है जिसमें समान विचारधारा वाले दल हों। वाम मोर्चे के नेताओं ने इसके लिए पहल की है। जदयू उन्हें समर्थन दे रही है।’ उन्होंने कहा कि पूर्व में जनता दल का हिस्सा रहे कई दल आपस में बातचीत कर रहे हैं। लेकिन नीतीश ने ऐसे दलों के विलय की संभावना से इनकार किया।
इन दलों के बीच बातचीत संभव
समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, बीजू जनता दल, जदयू, जेडीएस और वाम दलों के बीच बातचीत हो रही है। वाम मोर्चे का विभिन्न राज्यों में अलग-अलग दलों के साथ सीटों को लेकर पहले से तालमेल है।
दो समीकरण
1. बिहार में : इस तरह के संकेत हैं कि बिहार में जदयू भाकपा और माकपा के साथ गठबंधन कर सकती है। इसकी वजह यह है कि भाकपा और माकपा के राजद, कांग्रेस और लोजपा के गठबंधन में शामिल होने के संकेत नहीं हैं।
2. सौ सीटों पर नजर : नीतीश पहले भी नए तरह के गठबंधन की बात कह चुके हैं। ऐसे में पूर्वी राज्यों में मजबूत पकड़ वाली जदयू, तृणमूल कांग्रेस और बीजद के बीच समझौता हो सकता है। नजर लगभग 100 सीटों पर होगी। बिहार में 40, पश्चिम बंगाल में 42 और उड़ीसा में 21 लोकसभा सीटें हैं।
+2 computer science me seat kab badhega, kya +2 wale ko hi Madhyamik computer teacher me liya jayega ya alag se exam hoga
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