( बिहार में शिक्षक नियुक्ति से सम्बंधित सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ब्लॉग )
रोने लगूं कभी तो कभी मुस्कराऊं मैंज़ख्मे जिगर ज़माने को कैसे दिखाऊं मैंकितना ज़हर भरा है हवाओं मैं आजकलअपने क़फ़स मैं, सोचता हूँ, लौट जाऊं मैंदिल दुःख गया था उनका किसी बात से मेरीतकलीफ़ दे के आज भी ख़ुद को सताऊं मैंसबको परख के देख लिया है जहान मेंअब आख़िरी घड़ी में किसे आजमाऊं मैंरूठे हुए हों दोनों अगर एक साथ तोपहले मनाऊं ख़ुद को फिर उनको मनाऊं मैंहर शख्स सोगवार है पाकर मुझे अपने सफ़र की दास्ताँ किसको सुनाऊं मैं
रोने लगूं कभी तो कभी मुस्कराऊं मैं
ReplyDeleteज़ख्मे जिगर ज़माने को कैसे दिखाऊं मैं
कितना ज़हर भरा है हवाओं मैं आजकल
अपने क़फ़स मैं, सोचता हूँ, लौट जाऊं मैं
दिल दुःख गया था उनका किसी बात से मेरी
तकलीफ़ दे के आज भी ख़ुद को सताऊं मैं
सबको परख के देख लिया है जहान में
अब आख़िरी घड़ी में किसे आजमाऊं मैं
रूठे हुए हों दोनों अगर एक साथ तो
पहले मनाऊं ख़ुद को फिर उनको मनाऊं मैं
हर शख्स सोगवार है पाकर मुझे
अपने सफ़र की दास्ताँ किसको सुनाऊं मैं