Friday, January 3, 2014

" SIWAN " : 10+2 Final Merit List For Counselling ( Zila Parishad )


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Link : http://siwan.bih.nic.in/recruitment.aspx




1 comment:

  1. क्या आप जानते हैं कि इतिहास पीएम मनमोहन सिंह को कैसे याद रखेगा?


    1. कभी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा

    इतिहास के पन्ने अक्सर विजयी पक्ष की तरफ झुके होते हैं.
    लेकिन लिखने वाला कोई हो पर आने वाली पीढ़ियां ये जरूरी
    पढ़ेंगी कि मनमोहन सिंह कभी लोकसभा चुनाव नहीं जीते.
    2004 तक एक परंपरा थी कि प्रधानमंत्री जनता का प्रतिनिधि
    होता है इसलिए उसे लोकसभा से सदन में आना चाहिए.
    पर अपने दो बार के कार्यकाल में मनमोहन सिंह कभी
    लोकसभा चुनाव लड़े ही नहीं. वैसे मनमोहन सिंह एक
    बार लोकसभा चुनाव लड़े थे नई दिल्ली सीट से और हारे थे.
    ऐसे में ये तथ्य हमेशा उनके नाम के साथ जुड़ा रहेगा कि
    डॉ मनमोहन सिंह ने कभी भी लोकसभा चुनाव जीते
    बिना देश का नेतृत्व किया.

    2. वास्तविक सत्ता के उदाहरण के तौर पर

    राजनीति शास्त्र की किताबों में सत्ता और वास्तविक सत्ता
    के बीच का फर्क समझाना हमेशा मुश्किल होता है. लेकिन
    अब भारत में राजनीति के नए से नए छात्र के लिए ये पाठ
    उदाहरण के साथ मौजूद है. इससे पहले वास्तविक सत्ता
    के लिए हमें दूसरे देशों के उदाहरणों पर निर्भर रहना पड़ता
    था. अब जब वास्तविक सत्ता के बारे में बताया जाएगा
    तो मौजूदा सरकार का मॉडल याद रहेगा जहां सोनिया
    गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थीं और मनमोहन सिंह देश का
    नेतृत्व कर रहे थे.

    3. ‘मौन’मोहन के तौर पर

    मनमोहन सिंह ने पत्रकारों से बात की. हर तरह के सवालों
    का जवाब दिया लेकिन अपने दस साल के कार्यकाल में
    मनमोहन सिंह सिर्फ तीसरी बार इस तरह पत्रकारों के
    सामने आए. इस बीच में उनके विपक्षियों ने उनकी छवि
    मौन मोहन के तौर पर बनाई. यानी ऐसा शख्स जो बड़े
    मुद्दों पर कुछ भी कमेंट करने से बचता रहा. कोयला
    घोटाला हो, 2 जी घोटाला या इस तरह के दूसरे मामले
    हों मनमोहन सिंह ने देश के लोगों से संवाद की कोशिश नहीं की.

    4. ‘महंगाई’मोहन के तौर पर

    प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ इतिहास के पन्नों पर
    एक और छवि जुड़ी रहेगी. महंगाई मोहन के तौर पर.
    मनमोहन के पीएम रहते देश ने महंगाई का सबसे बुरा
    दौर देखा है. महंगाई समुद्र की लहरों की तरह लौट लौट
    कर आई तो सही लेकिन वापिस नहीं गई नतीजा महंगाई
    का खारा पानी लोगों के जीवन में भर गया. मनमोहन
    महंगाई को अपना नाकामी मान रहे हैं. ये वो मनमोहन
    हैं जो दूसरी बार इस वादे के साथ वापिस आए थे कि
    सौ दिन में महंगाई कम करेंगे लेकिन कर नहीं पाए.

    5. अर्थशास्त्री के रहते डूबी अर्थव्यवस्था के लिए

    मनमोहन सिंह इतिहास के पन्नों पर इसलिए भी दर्ज
    रहेंगे क्योंकि वे अर्थशास्त्री थे और उनके रहते अर्थव्यवस्था
    डूबती गई. कहते हैं अच्छा मछुआरा तूफान में भी कश्ती
    को संभाल लेता है लेकिन मनमोहन सिंह के रहते तूफान
    आया भी कश्ती तूफान में फंसी भी. एक वक्त था जब
    भारत मुश्किल में फंसे अमेरिका की मदद कर रहा था
    उस वक्त पूरे देश का सीना चौड़ा हो गया था लेकिन
    अब भारत की हालत ऐसी हो गई है जो दान बांटने
    का दिखावा करते-करते गरीब हो गया. इसका श्रेय
    मनमोहन सिंह को दिया जाता रहेगा.

    6. फैसले ना ले पाने के लिए.

    अर्थशास्त्री मानते हैं कि देश की मौजूदा हालत इसलिए
    हुए है क्योंकि एक नई तरह की लालफीताशाही खड़ी हो
    गई है. जिसकी वजह से नीतियों से जुड़े बड़े फैसले नहीं
    हो पा रहे हैं. कई अहम उद्योग फाइलों में अटके रह गए.
    जहां रोजगार बढ़ना था वहां भ्रष्टाचार का दीमक लग गया.
    पीएम को आगे बढ़कर जो राह दिखानी चाहिए थी वो दिखा
    नहीं पाए नतीजा देश पीछे होता गया.

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