Saturday, January 11, 2014

SHIKSHA VIBHAG ( Hindustan Samastipur Edition, Dated : 11 - 01 - 2014 )





3 comments:

  1. जब दुर्योधन (कॉंग्रेस) को लगा की वो अपने दम पर अर्जुन (मोदी)

    को परास्त नहीं कर सकता तो उसने कर्ण (AAP) से दोस्ती कर ली

    और उसे अंग देश (दिल्ली) का राजा बना दिया, इस अहसान के

    बदले कर्ण , दुर्योधन और उसके साथियों (शीला government)

    के अधर्म(corruption) की तरफ अपनी आँखें बंद कर लीं और

    इस अधर्म को छुपाने और खुद को दानवीर कहलाने केलिए

    अपनी हैसियत से ज़्यादा दान (subsidy) दिया और

    दुर्योधन (कॉंग्रेस) को विजयी बनानेकी पूरी कोशिश

    की.इस धर्म युद्ध मे भीष्म और द्रोण (media) और

    socialactivists) ने भी इस गठजोड़ का साथ दिया!

    लेकिन जनार्दन (जनता जनार्दन) ने अर्जुन (मोदी)का

    साथ नहीं छोड़ा और ये तो सर्व विदित है की अंत में

    जीत उसी कि होती है ...जिसके साथ जनार्दन (जनता)

    होते हैं

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  2. कांग्रेस को ख़तम ही समझिये, क्योकि कांग्रेस ने जिस प्रकार से
    APB न्यूज, आजतक, IBN7 और NDTV को खुलकर AAP.पार्टी के
    प्रचार में लगा रखा है, उसका मतलब ही यही है होता है
    की कांग्रेस अब नहीं बचेगी, उसका प्रयास है की AAP
    को जिताओ और मोदी का रास्ता रोको.
    केजरीवाल जिस प्रकार से कह रहे हैं की बीजेपी उनकी सरकार
    गिरा देगी, वह जनता को मुर्ख समझता है क्योकि यदि कांग्रेस
    नहीं चाहेगी तो केजरी की सरकार कैसे गिरेगी.
    कांग्रेसी मिडिया में केजरी बार बार बीजेपी और मोदी पर वार
    कर रहा है और अब वहा भी सेकुलर पार्टी बनाकर
    मोदी को सांप्रदायिक कहकर विरोध कर रहे हैं, जिससे कांग्रेस
    विरोधी वोट मोदी को न मिले और साम्प्रदायिकता के नाम
    पर बीजेपी विरोधी सभी पार्टी एक होकर सरकार बनाये और
    यही अमेरिका का उद्देश्य है. लेकिन इस बार केजरी गिरोह भारत
    के लोगो को मुर्ख नहीं बना पायेगा, भारत में कोई
    भी व्यक्ति सेकुलर नहीं है और यही सच्चाई भी है. जिस मुस्लिम
    वोट के लिए केजरी मोदी को सांप्रदायिक कह रहा है खुद वे
    मुस्लिम ही सेकुलर नहीं होते हैं क्योकि उनके लिए इस्लाम के आगे
    देश दोयम दर्जे पर है. कजरी किसको मुर्ख बना रहा है.
    जो मिडिया मोदी के भाषणों को दिखाना बंद कर दिया, वह
    8 दिसंबर से दिनरात केजरी चालीसा पढ़कर किसको गुमराह
    करने की कोशिश कर रहा है.
    बीजेपी के “अर्थक्रान्ति प्रस्ताव” लागू करने की खबर से
    अमेरिका और नाटो देश बहुत परेशान है क्योकि तब बिना महगाई
    बढाए ही सरकार के पास इतना राजस्व आयेगा की सरकार 10
    साल में इंफ्रास्ट्रक्चर में अमेरिका को पीछे छोड़ देगा और भारत
    में कई करोड़ रोजागारो का सृजन होगा.
    केजरी गिरोह अमेरिका के इशारे पर मोदी का रास्ता रोकने के
    देशद्रोही एजेंडे पर काम कर रहा है!!!

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  3. टाइम्स ऑफ इंडिया का एक सर्वे आया है. सर्वे सिर्फ 8 बडे बड़े
    शहरों में लिया गया है. इस सर्वे में सिर्फ 2015 लोगों की राय
    ली गई है. ये शहर हैं दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बैगलोर,
    हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद है. इन शहरों में करीब 33
    लोकसभा सीटें हैं. मतलब यह कि हर लोकसभा सीट के
    सिर्फ 61 लोगों से राय ली गई. जबकि इन सीटों में पर
    औसतन 20 लाख वोटर हैं. वैसे भी ये सैम्पल साइज
    बहुत छोटा है. इसलिए इसकी विश्वसनीयता पर सवाल
    उठता है.

    समझने वाली बात यह है कि इन 33 सीटों में सिर्फ 3 सीटें
    बीजेपी के पास है. दो अहमदाबाद और एक बैंगलुरू साउथ
    की सीट... इसके अलावा बाकी सभी 30 सीटें दूसरी पार्टियों
    के पास हैं जो बीजेपी के एनडीए में भी नहीं है. जबकि इन
    गैर बीजेपी सीटों में भी मोदी को 58%, केजरीवाल को 25%
    और राहुल को 14% प्रधानमंत्री का दावेदार मानते हैं.

    अब जरा इस सर्वे को लेकर टाइम्स ऑफ इंडिया के निश्कर्ष
    को देखें तब समझ में आता है कि इस सर्वे को बड़ी चालाकी
    से किया गया है. यह भ्रम फैलाने वाला सर्वे है. इसमें बीजेपी
    को नुकसान बताया जा रहा है जबकि इस भ्रामक सर्वे के
    मुताबिक नुकसान दूसरी पार्टियों को होना चाहिए.. क्योंकि
    जहां बीजेपी के सांसद ही नहीं हैं वहां बीजेपी को कैसे
    नुकसान हो सकता है.. और जो आम आदमी पार्टी को
    100 सीटें वाली बात बताई जा रही है वो भी भ्रामक है..
    यह कोई सर्वे का निष्कर्ष नहीं है बल्कि 2015 लोगों की
    राय है कि देश भर में आम आदमी पार्टी कितना सीट जीतेगी...

    जब से आम आदमी पार्टी राजनीति में कूदी है..
    सर्वे चुनाव प्रोपागंडा का एक सटीक हथियार बनकर उभरा है..
    कौन किस तरह से कहां और किस उद्देश्य से सर्वे कर रहा है
    उसका पता करना बड़ा मुश्किल है.. लेकिन देश की मीडिया ..
    मूर्खता के चरम पर है.. बिना सोचे समझे और विश्लेषण किए ..
    दनादन भ्रामक खबरों को दिखाने में जुट जाती है..
    और प्रोपागंडा का हिस्सा बन जाती है..

    इसलिए मेरा निवेदन है कि आप इन सर्वे को देखें..
    तथ्य को समझें और इन सर्वे के उपर अपनी राय
    कतई नहीं बनाएं.

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